प्यार बन कर जी गई

जिन्दगी के जहर को अमृत समझ कर पी गई |
मैं हर गम के दौर में मुस्कुरा कर जी गई ||

अब मौत
बेचारी मुझे क्या मार सकेगी |
लाखों दिलों में जो प्यार बन कर जी गई ||

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:- यशोदा कुमावत

मोहब्बत के लायक इन्सान नहीं मिलता


चाँद सितारों से प्यार कहाँ मिलता |
चाँद सितारों से यार कहाँ मिलता ||

फिर भी इन नज़रों से मोहब्बत है मुझे |
जमीं पे इन जैसा इन्सां कहाँ मिलता ||


:- यशोदा कुमावत

माँ के इस आँचल मैं

माँ के इस आँचल मैं
प्यार का सकून मिलता है
जीने की तमन्नाओ में
नया अंदाज़ मिलता है
यू तो दोलत की छांव
में लोग जीते और मरते है
मगर माँ के इस आँचल में
फलते फूलते रहते है
यू बड़े हो कर भूल जाते है
माँ बाप का प्यार
लेकिन जीवन में काम आता है
आदर्श और उनका प्यार |


:- यशोदा कुमावत



प्यार ओर दोस्ती


एक मुलाक़ात करो हमें दोस्त समझकर |
हम निभाएंगे दोस्ती अपना
समझकर ||

मेरी दोस्ती पर एतबार मत करना |
हम दोस्ती भी करते हे प्यार समझकर ||


यशोदा कुमावत