रूठ गई मेरी दोस्त.................

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धुँआ धुँआ हो उठे नज़ारे
अब
आँखे भर आईं है
सांसे इतनी बिस्ली है की
खुद से ही गबराई है
दिल इतना भारी है
इस पर गम की बदली छाई है
रूठ गई मेरी दोस्त जो ऐसे
जेसे रूठी सारी दुनियां है
मुझे छोड़ कर जो चल दी है
वो मेरी परछाई है
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEin2j3VQjaX7wkfy7SP3lqs0-uHTV0CZuru6H-TlseFXF_rL-AEn5p5O4fRpKqfCnOQjwRWp2p10ib7JJq43Uwd7eljHBF-INrdbfS2BWHo6DlCXHOBCAaMQrxyYEhUMY1WCRUN3ZoDkRhQ/s400/untitled.JPG

:- यशोदा कुमावत

1 टिप्पणी:

''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडल ने कहा…

यशोदा जी आप लगातार अच्छे की तरफ बढ़ रही हैं.
सादर,

माणिक अपनी माटी
माणिकनामा